कभी-कभी अतीत के पीछे झांकने में हमें कुछ ऐसी घटनाएं व प्रेरक बातें मिल जाती है जिसका कि हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है और यह घटनाएं जीवन में एक दिशा देने में योगदान करती है।
बात करीब 30 साल पहले की है। मैं गर्मियों की छुट्टी में स्कूल से फ्री होकर के कुछ खेल कूद में व्यस्त था और कभी-कभी बोरियत का भी शिकार।
संयोग वश मेरे भाई जो की इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते थे वह भी छुट्टियों पर आए हुए थे। मुझको वह थोड़ा अव्यवस्थित और अशांत देख कर मुझसे संवाद करने लगे।
और भाई छोटे (मेरे घर का नाम) आजकल क्या चल रहा है? क्रिकेट के अलावा और क्या करते हो?
मैंने कुछ सोचने के बाद कहा की बस कुछ खास नहीं बोर हो रहे हैं।
उन्होंने तपाक से कहा मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि यह "बोरियत" होती क्या चीज है?
मैं असमंजस में था कि आखिर क्या जवाब दिया जाए और यूं कहूं कि मेरे पास शब्दों का अभाव था शायद मैं उनके जैसा प्रखर व्यक्ति नहीं था।
उन्होंने मेरी मानसिक स्थिति को समझते हुए झट से प्रबल शब्दों में कहा भाई पढ़ा लिखा आदमी को तो बोर होना ही नहीं चाहिए।
हालांकि उस समय मैं इस बात को गंभीरता से नहीं ले पाया किंतु समय बितता गया और साथ ही मैंने महसूस किया कि मुझे कुछ ना कुछ पढ़ते रहना चाहिए। धीरे-धीरे मैं अच्छा पाठक बन गया।
मैं समझता हूं इस छोटे से संवाद के बाद मेरी जिंदगी में काफी परिवर्तन आया यह परिवर्तन मैंने बाद में कुछ वर्षों बाद महसूस किया मैं एक अच्छा वक्ता भी बन पाया और साथ ही मेरे ज्ञान में अधिवृद्धि हुई।
आज जबकि मैं पठन-पाठन में अधिकांश का समय व्यतीत करता हूं इस बात का सतत प्रमाण है कि उस प्रकरण ने मेरे जीवन में बहुत सकारात्मक बदलाव लाए। साथ ही जीवन को एक दिशा भी मिली। मेरे जीवन के उतार-चढ़ाव के समय भी मेरे अध्ययन करने की क्षमता और नई चीजों को सीखने की ललक मुझको तत्परता से नई-नई पुस्तक पढ़ने की प्रेरणा देती रही। मैं बहुत उच्च कोटि का लेखक तो नहीं पर इन क्षमताओं के चलते में कुछ हद तक अपने जीवन में बदलाव लाने में सक्षम हुआ हूं साथ ही मेरे लेख कभी-कभी लोगों के जीवन में भी कुछ वैचारिक परिवर्तन लाने में कामयाब हो रहे हैं।
मैं समझता हूं कि जीवन की इन घटनाओं को बहुत ही महत्वपूर्ण दृष्टि से देखा जाना चाहिए इस पर विचार किया जाना चाहिए कि हम जीवन में कितनी सकारात्मकता को लेकर आगे बढ़ रहे हैं और इसमें पुस्तकों का भी योगदान है।
आजकल देखा जा रहा है कि नई पीढ़ी के लोगों में अध्ययन करने की क्षमता व प्रेरणा कम है वह अधीक्षांशत अपने मोबाइल या इंटरनेट के द्वारा ही पढ़ाई करते हैं जो की काफी हद तक गलत भी है। हालांकि इन चीजों का हमारे जीवन में बहुत उपयोग है किंतु पुस्तकों के महत्व को हम नकार नहीं सकते। मैं अभिभावकों से निवेदन करता हूं कि अपने बच्चों में पठन-पाठन की आदतें विकसित करने में ध्यान दें ताकि एक अच्छे विचारशील समाज का विकास हो सके।